ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप अत्यंत ही भव्य है। यह देवी भक्तों को यह संदेश देती हैं कि जीवन में बिना तपस्या यानी कठोर परिश्रम के सफलता नहीं प्राप्त की जा सकती। मां मूलरूप से तपस्विनी हैं। भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इन्होंने हजारों वर्ष तक घोर तपस्या की और जंगल के फलों-पत्तों को खाकर अपनी साधना पूर्ण की और शिव को प्राप्त किया। इसलिए इनका का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है। देवी ब्रह्मचार‌िणी अपने एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में चंदन माला लिए हुए प्रसन्न मुद्रा में भक्तों को आशीर्वाद दे रही हैं।  ब्रह्मं चारयितुम शीलं यस्याः सा ब्रह्मचारिणी, अर्थात् जो ब्रह्मज्ञान दिलाकर मोक्ष मार्ग को प्रशस्त करे, वे ही मां ब्रह्मचारिणी हैं। साधक इस दिन अपने मन को मां के श्रीचरणों में एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और मां की कृपा प्राप्त करते हैं। श्रद्धालु भक्त और साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान और साधना करते हैं ।

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