प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केरल का भाषण भारत प्रशासित कश्मीर के उड़ी सेक्टर में हुए चरमपंथी हमले के बाद, उस मुद्दे पर पहला भाषण था.
स्वतंत्र भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत के प्रधानमंत्री ने किसी दूसरे देश की जनता का ज़िक्र किया और उनसे कहा कि आप अपने हुक्मरानों से सवाल कीजिए.
नरेंद्र मोदी की सख़्त भाषा और तेवरों से काफी कुछ पता चलता है.
नरेंद्र मोदी के भाषण से ये बात झलकती है कि भारत की पाकिस्तान नीति की पूरी कमान प्रधानमंत्री के हाथ में हैं लेकिन वो फूंक-फूंक कर कदम उठाएंगे.
ऐसा भी संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री मोदी को कहीं न कहीं इस बात का एहसास है कि इस हमले में पाकिस्तान के आवाम की गलती नहीं है.
इसीलिए उन्होंने कहा कि हमारे (भारत और पाकिस्तान) बीच बेरोज़गारी खत्म करने, गरीबी खत्म करने के लिए मुकाबला होना चाहिए और ये देखना चाहिए कि कौन सा देश इन समस्याओं को पहले खत्म करता है.
दूसरी तरफ उन्होंने ये भी कहा कि जो 18 भारतीय जवान मारे गए हैं, भारत उसे कभी भूलेगा नहीं.
मतलब यह कि मोदी ये संकेत देना चाहते हैं कि भारत जब जवाब देगा, तो वो पाकिस्तान के अवाम को जवाब नहीं होगा, बल्कि वह पाकिस्तान के हुक्मरानों को जवाब देगा.
मोदी पाकिस्तान के हुक्मरानों को ये कहना चाहते हैं कि उन्होंने इस तरह की नीतियां बनाई हैं जिनसे बार बार भारत में ऐसे चरमपंथी हमले होते हैं.
ये सवाल अभी बने हुए हैं कि क्या भारत प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा को पार करेगा? क्या भारतीय वायु सेना पाकिस्तान में दाख़िल होगी या फिर छिपे छिपाए स्ट्राइक होंगे?
इसके अलावा, क्या ऐसा आने वाले कुछ हफ्तों में होगा या फिर आगे कभी होगा. स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी ऐसा कोई भी कदम उठाने से पहले इस पर गहन विचार-विमर्श में समय लगाएंगे और सारे परिणामों के बारे में सोचेंगे.
उड़ी हमले के बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का कुछ स्तर पर साथ भी मिला है.
इस बात की पूरी संभावना है कि नरेंद्र मोदी से पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय आशंका जाहिर कर रहा होगा कि भारत और पाकिस्तान दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं, तो कहीं ऐसा न हो कि दक्षिण एशिया में परमाणु युद्ध की स्थिति पैदा हो जाए.
ज़ाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तेवर तो गर्म हैं, पर वो फूंक फूंक कर कदम रखेंगे.