नई दिल्लीः मोदी सरकार ने ख़ुलासा किया कि सेना ने पहले भी सर्जिकल ऑपरेशन किया है लेकिन जिस पैमाने पर इस बार हुआ है वैसा पहले कभी नहीं हुआ था. विदेश सचिव एस जयशंकर ने एक स्थायी संसदीय समिति को बताया कि एक बड़ा अंतर ये भी है कि पहले कभी ऐसे ऑपरेशन को सार्वजनिक नहीं किया गया था. स्थायी समिति की बैठक में राहुल गांधी भी शरीक़ हुए लेकिन उन्होंने कोई सवाल नहीं पूछा.
सर्जिकल स्ट्राइक पर जारी राजनीति के बीच सरकार और सेना ने एक बार फिर सांसदों को इसके बारे में जानकारी दी. विदेश मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की बैठक का मौक़ा था.
बैठक में मौजूद समिति के सदस्यों को विदेश सचिव एस जयशंकर और उपसेना प्रमुख ले. जनरल विपिन रावत ने सर्जिकल ऑपरेशन और उसके बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्तों के बारे में जानकारी दी. सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस और विपक्ष के सदस्य ये जानना चाहते थे कि ऐसे ऑपरेशन पहले भी हुए हैं या नहीं?
विदेश सचिव ने ये तो माना कि ऐसे ऑपरेशन पहले भी सेना करती रही है लेकिन इस बार इसका पैमाना ज्यादा बड़ा था. ये भी पहली बार हुआ कि सफल ऑपरेशन के बाद सरकार ने इसका सार्वजनिक ऐलान भी किया. कांग्रेस की ओर से सत्यव्रत चतुर्वेदी और कर्ण सिंह ने सवाल पूछे. जबकि एनसीपी सांसद डीपी त्रिपाठी और सीपीएम सांसद मो. सलीम ने भी विदेश सचिव से कुछ जानकारी मांगी.
समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने दो दिन पहले ही ख़त्म हुए ब्रिक्स समिट के बाद जारी गोवा घोषणा पत्र पर सवाल पूछा. थरूर ने पूछा कि घोषणापत्र में जैश -ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के नाम शामिल क्यों नहीं करवाए गए. विदेश सचिव ने कहा कि इस मोर्चे पर भारत को क़ामयाबी मिली है और कोशिशें अभी जारी हैं . -एवीपी न्यूज