राजीव कुमार / भीमनगर / सुपौल
कालाधन एवं जाली नोट को खपाने वाले कारोबारियों पर रोक लगाने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 एवं 1000 रूपये के नोट पर प्रतिबंध लगाये जाने के निर्णय से देश में अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है । हालांकि इस प्रतिबंध को लेकर आर्थिक राजनैतिक तथा सामाजिक संगठनों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू है ।
केंद्र सरकार ने काला धन और बढ़ते आतंकवाद के परिपेक्ष्य में पुराने 500 और 1000 रूपये का नोट बंद करने के ऐतिहासिक फैसले के बाद मंगलवार की रात से लोगो में असमंजस की स्थिति बन गयी । सुबह होते ही दूर दराज के ग्रामीण अंचलों में इसकी खबर आग की तरह फैल गयी । जिले के त्रिवेणीगंज, छातापुर ,पिपरा, किशनपुर, वीरपुर ,निर्मली बाजारों में 5 सौ व हजार के नोट हाथों में लेकर लोग घूमते नजर आये । छोटे छोटे दुकानदार से लेकर बड़े व्यापारी भी इन रूपये को लेने कतराते दिखे । कुल मिलाकर स्थिति असमान्य रही । सभी लोग अब बैंक खुलने का इंतजार करने लगे है ।
दिलचस्प पहलु तो यह है कि जिले में मेहनत कश मजदूरों व किसानों की संख्या सर्वाधिक है । पेट काटकर घर की महिलाओं ने चोरी छुपे कुछ रकम अपने पास इकट्टा की थी ताकि विपरीत परिस्थितियों में अपने परिजनों को ससमय आर्थिक मदद दे सके मगर बड़े नोटों पर प्रतिबंध लगाये जाने से खासकर महिलाओं की हालत और भी बदतर हो गयी है । घर के मालिक को यह भी बताने में असहज महसूस कर रही है कि कितनी राशि मेरे पास चोरी छुपे जमा है । सुपौल की संसद रंजीत रंजन मानती है कि घर की औरतों के पास जमा की गयी रकम को काला धन नही माना जा सकता है व सफेद धन अपनी बेटी के दहेज और अपने परिवार की सुरक्षा का जरिया बताती है । वास्तव में गाँव और छोटे शहर की महिलाओं द्वारा चोरी छुपे जमा किया धन ही स्त्री धन है जिसे नजर अंदाज नही किया जा सकता ।
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