बांबे हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार और योग पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत का कहना है कि यह महज एक प्रकार का व्यायाम है और स्वास्थ्य के लिए अच्छा भी। दरअसल स्कूलों में योग को अनिवार्य करने के खिलाफ रोक लगाने की याचिका दर्ज करवाई गई थी। पिछले माह 23 तारीख को बृहनमुंबई नगर पालिका (बीएमसी) प्रस्ताव को चुनौती देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मसूद अंसारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी।
अंसारी ने याचिका में कहा था कि बीएमसी का प्रस्ताव मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और यह गैरकानूनी भी है। याचिकाकर्ता के मुताबिक बीएमसी द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में मुख्य रूप से गरीब बच्चे आते हैं और सभी धर्म, जातियों और संप्रदायों के होते हैं।
मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर और न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि लोगों को महज इसे नाम ‘सूर्य नमस्कार’ के रूप में नहीं देखना चाहिए। न्यायमूर्ति चेल्लूर ने कहा कि इसके नाम पर मत जाइए…यह महज एक प्रकार का व्यायाम है और तन के लिए अच्छा है। याचिकाकर्ता की वकील अंजली अवस्थी ने तर्क दिया कि अल्पसंख्यक छात्रों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह सूर्य नमस्कार करेंगे।